अगर मिल सके न
हम इस जहां में
मेरे हमसफर तुम
कभी गम न करना।
हों दुश्वार राहें
भले चाहे जितनी
आंखों के मोती
कभी मत लुटाना।
राहों पर शोले
या कांटे बिछे हों
इन राहों से आखें
कभी मत चुराना।
मन में लिए
आरजू फिर मिलन की
मेरे हमसफर बस
दुआएं तू करना।
जनम दस जनम
हैं न्यौछावर मिलन पर
नहीं हमको फूलों
का सपना सजाना।
ये माना कई जन्म
''उसके'' लिए फिर
हैं आखों की पलकों
का पल में झुकाना।
कि ऐसा भी पत्थर
नहीं वो खुदा भी
मोहब्बत की हस्ती
जो चाहे मिटाना।
हम तुम मिलेंगे
ये वादा रहा
याद बीते दिनों की
'प्रिये' मत भुलाना॥
waah bahut khoob...
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