सैन्य जमीन से कब्ज़ा नहीं हटने दिया रक्षा मंत्रालय ने
- मुरादाबाद के मैनाढेर कैम्पेनिंग ग्राउंड में बन गए 84 मकान, पुलिस थाना, दो सरकारी स्कूल.
पंकज सिंह
मुरादाबाद के मैनाढेर स्थित मिलिटरी ग्राउंड पर दर्जनों मकान पुलिस थाना और दो सरकारी स्कूल बन गये हैं. इन्हें हटाने की बात हुई तो खुद रक्षा मंत्रालय आड़े आ गया. एक साल से ज्यादा समय से लटके इस मामले का खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट को मंत्रालय को भेजने के साथ ही सदन में भी रखा जायेगा.
मुरादाबाद से तीस किलोमीटर दूर मिलिटरी कम्पैनिंग ग्राउंड की 18.27 एकड़ जमीन दशकों से खाली पड़ी हुई थी. दिसंबर 2007 में रक्षा सम्पदा अधिकारी ने जमीन का सर्वे किया. इस जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके थे.इसकी 10 .17 एकड़ भूमि चकबंदी में आम लोगों की खतौनी में दर्ज कर दी गयी थी. बाकि 8 .21 एकड़ जमीन में से 2.067 एकड़ भू माफियाओं ने कब्ज़ा कर लोगों को बेच दी थी. इसके मामले सीओ चकबंदी मुरादाबाद के यहाँ लंबित हैं. हैरत की बात है की इस जमीन पर एक पुलिस थाना सहित एक राजकीय जूनियर हाई स्कूल और एक प्राथमिक स्कूल भी चल रहा है. साथ ही मंदिर मस्जिद और दरगाह भी बन चुकी है. मिलिटरी पड़ाव पर इतने बड़े स्तर पर अतिक्रमण से रक्षा संपदा विभाग के साथ ही उत्तर भारत एरिया मुख्यालय और 6 mountain division मुख्यालय में हडकंप मच गया. मामला उच्च स्तर पर पहुंचा तो डीईओ ने 84 लोगों के खिलाफ पीपी एक्ट की कार्रवाई शुरू कर दी. साथ ही सेंट्रल कमांड के निर्देश पर डीईओ बरेली और 6 mountain division ने लोकल प्रशासन तहसील और पुलिस के साथ मिलकर जनवरी 08 में अतिक्रमण अभियान शुरू किया.
इधर कब्जेदारों ने पीपी एक्ट के खिलाफ उच्च न्यायलय में 6 याचिकाएं दायर कर दी जिन्हें 26 फरवरी 08 को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया. वहीँ एस्टेट अफसर के यहाँ सुनवाई भी शुरू हो गयी. अवैध कब्जेदारों पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था. तब भू माफियाओं ने मुरादाबाद के एक सांसद से संपर्क साधा. सपा सांसद ने बहुमत के नाम पर रक्षा मंत्रालय से विशेष पैरवी कर दी. मंत्रालय ने कार्यवाही न करने के आदेश जारी कर दिए. 10 जुलाई 08 को रक्षा मंत्री के पीएस धीरज गुप्ता के हस्ताक्षर से डायरी नंबर- 3497 -पीएस/आर एम/108 से सभी कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश जारी कर दिए गए. इसके बाद सारे अभियान ठप्प हो गए. मामला रक्षा मंत्री का होने के चलते यह पहल दुबारा शुरू नहीं हो सकी. फरवरी 2010 में सीएजी आडिट में इस मामले का खुलासा हुआ. सीएजी की यह रिपोर्ट मंत्रालय के साथ साथ लोकसभा और राज्य सभा में भी राखी जाएगी. इस मामले में सेना के उच्च अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. तत्कालीन डीईओ डीएन यादव का कहना है कि अवैध कब्जेदारों के खिलाफ पीपी एक्ट में केस चल रहा है.
( हिंदुस्तान, बरेली 2 जून 2010 )
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