क्यों इतनी दूर कमाने गए?
केस-एक
हैदराबाद में कबाड़ का काम करने वाला एक व्यक्ति मोपेड से ही अपने पत्नी और दो बच्चों के साथ पांच दिन का सफर तय करके जौनपुर के मडियाहूं पहुंचता है।
केस-दो
लुधियाना में टाइल्स लगाने वाला मजदूर साइकिल से 850 किमी का सफर तय करके बलरामपुर अपने गृह जनपद पहुंचा
केस-तीन
चेन्नई में कुल्ली का ठेला लगाने वाले चार मजदूर 1750 किमी की दूरी साइकिल से तय करके अपने घर उन्नाव के हसनगंज के निकले थे। 15-16 दिनों बाद पहुंचे।
अब भी अनुमान है कि सात से आठ लाख लोग विभिन्न प्रदेशों में फंसे हुए हैं। यह सभी पूर्वी उत्तर प्रदेश के हैं।
आखिर यूपी और खासतौर पर पूर्वी यूपी के लोग ही मजदूरी करने के लिए इतनी दूर क्यों जाते हैं। आखिर इन क्षेत्रों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, उद्योग आदि की सुविधाएं रहीं होती तो क्या ऐसी स्थिति आती?
सरकारों-नेताओं से यह सवाल पूछा जाना चाहिए?
लॉक डॉउन के संकट से क्या ऐसा कोई जरिया नहीं निकल सकता है जिससे पलायन के इस संकट को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए?
पंकज
केस-एक
हैदराबाद में कबाड़ का काम करने वाला एक व्यक्ति मोपेड से ही अपने पत्नी और दो बच्चों के साथ पांच दिन का सफर तय करके जौनपुर के मडियाहूं पहुंचता है।
केस-दो
लुधियाना में टाइल्स लगाने वाला मजदूर साइकिल से 850 किमी का सफर तय करके बलरामपुर अपने गृह जनपद पहुंचा
केस-तीन
चेन्नई में कुल्ली का ठेला लगाने वाले चार मजदूर 1750 किमी की दूरी साइकिल से तय करके अपने घर उन्नाव के हसनगंज के निकले थे। 15-16 दिनों बाद पहुंचे।
अब भी अनुमान है कि सात से आठ लाख लोग विभिन्न प्रदेशों में फंसे हुए हैं। यह सभी पूर्वी उत्तर प्रदेश के हैं।
आखिर यूपी और खासतौर पर पूर्वी यूपी के लोग ही मजदूरी करने के लिए इतनी दूर क्यों जाते हैं। आखिर इन क्षेत्रों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, उद्योग आदि की सुविधाएं रहीं होती तो क्या ऐसी स्थिति आती?
सरकारों-नेताओं से यह सवाल पूछा जाना चाहिए?
लॉक डॉउन के संकट से क्या ऐसा कोई जरिया नहीं निकल सकता है जिससे पलायन के इस संकट को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए?
पंकज
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