मुलायम सिंह जीवन भर मुसलमान जपते रहे। सत्ता तक पहुंचने के लिए उन्होने इनकी संगति की। हिन्दू मान्यता है कि जैसी संगति वैसी बरकत।
तुलसीदास भी लिखते हैं
जहां सुमति तहं सम्पति नाना
जहां कुमति तहं विपति निधाना।।
--- अब नीचे दिए संदर्भ को पढ़ने से मंतव्य स्पष्ट होगा। राजनीतिक जीवन में मुगल/मुस्लिम की विचारधारा मानने पालने का परिणाम यह है कि खुद का बेटा सत्ता से बेदखल कर दिया।
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सियासत में कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं.
मुग़लों के दौर में बाप को सत्ता से हटाने के लिए बेटे न केवल बग़ावत पर उतर आते थे, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर राजधानी पर चढ़ाई भी कर देते थे.
जहांगीर ने अक़बर से बग़ावत की. जहांगीर से शाहजहां ने विद्रोह किया और शाहजहां से औरंगज़ेब ने. समय के पहियों को और पीछे ले जाएं तो रोमन साम्राज्य में भी सत्ता के लिए संघर्ष होता रहा.
इन दिनों उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी पारिवारिक घमासान भी मुग़लों की याद दिलाता है. पार्टी में बाप से बेटे की बग़ावत, पार्टी के अंदर साज़िश और एक दूसरे के खिलाफ़ षड्यंत्र से मुग़ल साम्राज्य की बू आती है.