तो इसमें गलत क्या है
बस यही सवाल मैंने पूछ लिया तो वह नाराज हो गई।
तुम मेरे चरिञ पर शक करते हो।
मैं इसके आगे कुछ बोल नहीं सका, अब जबाव से क्या सवाल किया जाए।
आज कुल कितने दिन हुए उससे मिले। कुल नौ-दस महीने।नहीं 28 फरवरी, शाम को अचानक उसका फोन आया। तेज और सपाट आवाज, जी आपके नम्बर से कॉल आई थी। मैंने कहा आप कौन। तो मैं आवाक एक दिवास्वप्न सा महसूस कर रहा था। शाम का वह वक्त व्यस्तता के बाद भी बात खत्म करने का मन नहीं कर रहा था। कुछ औपचारिक सा परिचय और ऐसा लगा जैसे हम एक दूसरे को न जाने कब से जानते हैं। बात होती रही, मन की आस बढती रही। वक्त की बंदिशें थीं, लेकिन फिर मिलने का वादा कर वह खुशनुमा सी शाम आगे बढी। न काम में मन लगा, न खाने में। रात गुजरी, सुबह हुई। जहां से उसे रोज देखते थे आज वह जगह और अच्छी लग रही थी। क्योंकि आज यह पता था कि मेरे देखने का जवाब आ रहा है। बातों, बातों से आगे मुलाकातें, और फिर मोहब्बत का एक सिलसिला।
कौन है। शायद मेरा रुम पार्टनर आ गया था। दरवाजे पर दस्तक हुई तो हकीकत के सपनों से बाहर निकला।
बस यही सवाल मैंने पूछ लिया तो वह नाराज हो गई।
तुम मेरे चरिञ पर शक करते हो।
मैं इसके आगे कुछ बोल नहीं सका, अब जबाव से क्या सवाल किया जाए।
आज कुल कितने दिन हुए उससे मिले। कुल नौ-दस महीने।नहीं 28 फरवरी, शाम को अचानक उसका फोन आया। तेज और सपाट आवाज, जी आपके नम्बर से कॉल आई थी। मैंने कहा आप कौन। तो मैं आवाक एक दिवास्वप्न सा महसूस कर रहा था। शाम का वह वक्त व्यस्तता के बाद भी बात खत्म करने का मन नहीं कर रहा था। कुछ औपचारिक सा परिचय और ऐसा लगा जैसे हम एक दूसरे को न जाने कब से जानते हैं। बात होती रही, मन की आस बढती रही। वक्त की बंदिशें थीं, लेकिन फिर मिलने का वादा कर वह खुशनुमा सी शाम आगे बढी। न काम में मन लगा, न खाने में। रात गुजरी, सुबह हुई। जहां से उसे रोज देखते थे आज वह जगह और अच्छी लग रही थी। क्योंकि आज यह पता था कि मेरे देखने का जवाब आ रहा है। बातों, बातों से आगे मुलाकातें, और फिर मोहब्बत का एक सिलसिला।
कौन है। शायद मेरा रुम पार्टनर आ गया था। दरवाजे पर दस्तक हुई तो हकीकत के सपनों से बाहर निकला।